
तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार
यह जिंदगी उस सफर की तरह है जहां हम कश्ती पर सवार तो हैं पर हमें सिर्फ इतना पता है कि हम कहां से चले थे, यह नहीं पता है की कि कहां जाएंगे |और जहां हम अभी है वहां भी हम कैसे पहुचे यह पहुंचने से पहले नहीं पता था, बस हम निर्णय लेते हैं और वही निर्णय हमारी राह बनाते हैं | ना ही हमें कहीं किनारा नजर आता है और ना कोई सहारा, बस इंसान और उसकी कश्ती | कहां जाना है, क्या करना है, यह सफर कहां पूरा होगा, कुछ पता नहीं | बस एक दिशा चुनना है और आगे बढ़ना है | हर एक लहर के साथ कश्ती डगमगाती है, हवा का थपेड़ा लगते ही ऐसा लगता है मानो यह सफर बिना किनारे तक पहुंचे हैं खत्म हो जाएगा, लेकिन वह तो सिर्फ एक झोंका होता है |
इंसान की प्रवृति होती है कि वह वही करता है जिसमें उसे आराम मिलता है | विरले ही ऐसे लोग दिखते हैं जो जानकर दिक्कतों का सामना करना पसंद करते हैं और इसीलिए दुनिया ऐसे लोगों को बेवकूफ समझती है | कभी भी, कहीं भी, कोई भी इंसान जो परेशानियों से भागता है, कुछ हासिल नहीं कर सकता |
छोटी छोटी चीटियों की श्रंखला में से किसी एक चींटी जो सिर पर भारी भोजन भी लिए हुए हो, उसको श्रंखला से अलग कर दिया जाए तो वह क्या करती है? हर जतन करती है अपनी श्रंखला में वापस पहुंचने का, चाहे इस जतन में अपनी जान ही क्यों न गवा बैठे | जब चींटी अपने खाने की तलाश में निकलती है तो उसे जरा भी अंदाजा नहीं होता है कि उसके साथ क्या होने वाला है, क्या पता वह वापस आएगी भी या नहीं, हो सकता है किसी के पैरों के नीचे उसका जीवन समाप्त हो जाए | तो क्या वह डर कर छिप जाए ? उस से क्या होगा, अपना जीवन बचा लेगी ? नहीं | तो फायदा किस में है, इसी में कि वह बिना डरे आगे बढ़े और कुछ हासिल करके ही वापस लौटे |
हर इंसान आजकल बड़े-बड़े ख्वाब देखता है पर जब उनको सच करने की बारी आती है तो छोटी-छोटी दिक्कत को ही पहाड़ समझकर बैठ जाता है | अरे भाई ! यह तो सिर्फ पथरीला रास्ता है, इसे पार नहीं कर पाए तो पहाड़ तक तो पहुंचे ही नहीं | सारा खेल इंसान के दिमाग का, उसकी सोच का है | जो हम देखना चाहते हैं, हमारी आंखें हमें वही दिखाती हैं | जो हम चाहते हैं, हमेशा वही होता है | इंसान को दिखाई देगा एक खतरनाक तूफान | तब सब कुछ इंसान के ऊपर है | अगर वह हार मान कर बैठ जाए तो फिर कौन उसकी नाव को पार ले जाएगा | वही अगर वह सोच ले कि यह तूफान तो बस रोड़ा है उसके रास्ते का, इसे पार कर लिया तो किनारे के करीब तो पहुंचूंगा, बस यह सोच ही काफी है | फिर तो चाहे वह कितना भी बड़ा तूफान क्यों ना हो, कितनी भी ऊंची लहरें क्यों ना आए, वह सब पार कर जाएगा | और तब इंसान को अपनी शक्ति का ज्ञान होगा और उसे अपनी शक्ति के आगे वह तूफान तो बस एक तेज हवा का झोंका सा मालूम होगा |
कितने ही महान लोग हुए हैं जिन्होंने कदम कदम पर तूफानों को पार किया है | डॉक्टर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, जिन्हें मिसाइल मैन की उपाधि दी गई है, उनके सामने तो अपनी पढ़ाई करना ही सबसे बड़ी चुनौती थी | अब्राहम लिंकन ने अपनी जिंदगी में हजारों मुश्किलों का सामना किया | लेकिन वह लड़े और उन्हें सफलता मिली |गोविंद जायसवाल, जिनके पिता एक रिक्शा चालक थे, उन्होंने 2006 सिविल सेवा परीक्षा में 48 वां स्थान ला कर यह साबित कर दिया कि कोई भी, कितनी भी बड़ी परेशानी हो, उस से भागने में नहीं, लड़ने में ही मजा है | केरोली पहले शूटर थे, जिन्होंने ओलंपिक में दो स्वर्ण पदक जीते थे | आश्चर्य की बात तो यह है कि यह मुकाम उन्होंने दाया हाथ गंवाने के बाद हासिल किया था | ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतना उनका सपना था, और उनकी मेहनत और लगन से तय भी था | पर ओलंपिक से 2 साल पहले एक हादसे में उन्होंने अपना दायां हाथ खो दिया | लेकिन उन्होंने अपना हौसला नहीं खोया, और अपना सपना बाए हाथ से सच किया | ऐसे ही और ना जाने कितनी हस्तियां हुई है जिन्होंने परेशानियों से भागने के बजाय उन से लड़ने में ही समझदारी समझी और अपना मुकाम हासिल किया | वही अगर उन्होंने शांति और आराम को चुना होता तो उनके नाम भी गुमनामी में दफन रहते | कुछ ना करने में बहुत आराम है, पर संघर्ष करके जीतने में जो संतुष्टि है, उससे ज्यादा आराम और खुशी और कहीं नहीं |
जिंदगी का किरदार ऐसे निभाया जाना चाहिए कि पर्दा गिर जाए लेकिन तालियां बजती रहे | जब इंसान जिंदगी की आखरी सांसे ले रहा हो तो भले ही आंख में आंसू हो पर इस दुख के नहीं कि अगर जिंदगी में हंसकर, हिम्मत से परेशानियों को गले लगाया होता तो आज अंत कुछ और होता बल्कि वह आंसू खुशी के होने चाहिए और दिमाग में यही विचार होना चाहिए कि "वाह क्या जिंदगी थी, मजा आ गया" | और इसके लिए अभी जिंदगी के सफर में मुश्किलों और दिक्कतों के तूफानों से डरकर पलट कर भागना नहीं है, बल्कि उनको ललकारना है कि "आ, देखें, कौन जीतेगा, मेरी हिम्मत या तू" | क्या पता यह वह आखरी तूफान हो जिसके बाद सफलता का किनारा हासिल हो जाए |
"हल्का पड़ जाएगा दिक्कत का हर वार,
उठा अपनी हिम्मत की तलवार ;
मुड़कर, रास्ता बदलने से कुछ ना होगा तुझे हासिल
तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार |"