एै माँ
वो छत की धुप ,वो आग की आँच,
वो छोटा सा घर वो छोटा सा गाँव |
तू चाहे मेरा हित,
तू मेरे ह्रदय में समाहित |
तूने सजाई है मेरी आँखे काले काजल से,
तूने दिया है मुझे छाँव अपनी आँचल से |
मै था धुली धूसर तूने झाड़ा मुझे,
अपनी बाहों में तूने है पाला मुझे |
तेरी ऊँगली पकड़ मै चला तेरे आगे,
जब सोये सारा जग तब तू मेरे लिए जागे |
गीली थी तेरी आँखे जब मै खाया था चोट गीले आँगन में,
एै माँ खिला न तेरे जैसा फूल किसी बागन में |
माँगी है तूने मेरे लिए मन्नतें,
उठाई हैं तूने कितनो ही दिक्कतें |
अभी भी याद है मुझे मेरे जिंदगी का सुनहरा कल,
जब मै था तेरे साथ कुछ दिन , कुछ पल |
मिलाई है तूने हाँ में हाँ मेरी खुशियों के लिए,
भूल न पाउँगा तेरी ममता का रस मै रहूँ यहाँ या फिर चाहे जहाँ |
दिखाई है तूने दिशा, दी है मुझे नई राह,
है तुझे समर्पित मेरी यह अनंत चाह |
दिया है तूने सुझाव मुझे हर कठिन मोड़ पर,
एै माँ ये तेरा लाल करता है तुझे नमन बार बार हाथ जोड़कर |
मुझे याद है अभी-भी जब मै छोड़ा था घर,
थीं तेरी आँखे नम , तुझसे बिछड़ने का दर्द हुआ नहीं कम |
एै माँ मै आऊंगा फिर वापस तेरे पास,
अपनी मेहनत से कर के कुछ खास |