दिल मेरा भर आया
देख के दिल मेरा भर आया
एसा दृश्ये नज़र आया
हिन्दू मुस्लिम सिख ईशाई आया
फर्क कोई समझ नहीं आया
एक मंदिर नज़र आया
बन साधु पैड़ी चढ़ आया
भरने पेट हर कोई आया
हाथ जिसके आगे भी फहलया
सफर थोड़ा सा आगे बड़ा
प्यासा मै फिर से पड़ा
एक मस्जिद का सहारा मिला
बन फ़क़ीर अंदर मै चला
ये देख हर कोई थमा
बोला प्यासा तू क्यू खड़ा
भुजी प्यासा कुछ साहस आया
पैरों ने फिर से आगे दौड़ाया
देख गुरु का द्वार इच्छा सी बनी
पहन पग फिर से कुछ पैड़ी चढ़ी
कुछ खाने की इच्छा फिर से बनी
देख सेवा लंगर की भूख मेरी भरी
ख़ुशी ख़ुशी गाड़ी आगे भड़ी
एक मोड़ पर फिर से धिमे पड़ी
ग्रिजाघर की घंटी कानो में पड़ी
याद आयी फिर टेरेसा की घड़ी
देख ये कुछ बोल न पाया
मेरा भारत महान यही समझ आया
हिन्दू मुस्लिम सिख ईशाई आया
फर्क कोई समझ नहीं आया