जाँबाज सैनिक
रक्त रंजित हाथ उसके, हथेली पे प्राण उसके
हुंकार जैसे सिंह चला, रण छोड़कर दुश्मन चला
कुछ खड़े काफ़िर अभी भी हैं, वार करते जा रहे
वारों को ऐसे तू से चला, जैसे माँ ने हो सहला लिया
निर्भीक हो तू खड़ा फिर, दुश्मन के आगे डट पड़ा
तेरा हौंसला ये देखकर, कंपकंपाने दुश्मन लगा
देह चलनी हुई तेरी, रूह वो ना छल सके
संकल्प तेरा देख तेरे, प्राण जाने से डरें
करने को चित दुश्मन को आखिर, साँसों से खुद की तू लड़ चला
माँ है हिफाजत देखकर, प्राणों को विदा तू कर चला
……………………... प्राणों को विदा तू कर चला