तेरा दिमाग
ऐ मालिक मेरी भी सुनले आज
आखिर हु मै तेरा दिमाग
चोट जब सरीर को लग जाती
डॉक्टर की तुझे याद है आती
क्यू न मेरे दर्द का तू करे इलाज़
आखिर हु मै तेरा ही दिमाग़
हाथ पैर को तू आराम देता
पर मेरी खबर कभी न लेता
पागल नही बीमार है तू आज
क्यू ना समझे ये छोटी सी बात
हर दर्द की एक दावा है होती
फिर क्यू मेरी तकलीफे
अन्द्विस्वास में खोति
ना मांगू मै ओझा बाबा
और न चाहू पंडित आज
करवा दे तू इलाज मेरा
आखिर हु मै तेरा दिमाग़
क्यू तू ये दर्द छुपाता है
क्यू ना अपनों को बताता है
प्यार भी है इसका इलाज
सुनले मेरी
मै हु तेरा दिमाग़