दोस्ती
गर करो दोस्ती चाँद तारों सी कर
सब तो रोशन है खुद जग को रोशन तू कर ।
गर करो दोस्ती चाँद तारों सी कर
कहते हैं दोस्ती का मज़हब ना कोई
दोस्ती ही है राम दोस्त ही रहीम
दोस्ती गंगा की तरह पावन तू कर
बनजा दरिया व चल स्वंय की राह पर ।
गर करो दोस्ती चाँद तारों सी कर
ना हो मै ना अहम् न घमण्ड तू कर
रूठ जाये कोई तो मनाया तू कर
हौसलो को बुलंद जरुर तू कर
मगर दोस्ती मे झुका दे तू सर।
गर करो दोस्ती चाँद तारों सी कर
प्रीत के गीत तो गाते हैं सब
प्रीत की आँखो मे सबको दिखता है रब
अनजान हैं वो मित्रता के महत्व से
मित्र चाहे तो रब फिर धोयेगा पग।
गर करो दोस्ती चाँद तारों सी कर