मिट्टी के दीये

हर अंगना हर द्वार - द्वार हर हिये !
ज्योर्तिमय हो जग में मिट्टी के दीये !
अमावस्या के श्यामपट्ट पर फैलायें !
ज्योतिकलश बन जो सारा तम पियें !
आशाओं के अगनित स्वरों को लियें !
हर दिशा में प्रकाशमान मिट्टी के दीये !
 

वायु के विप्लव वेग से न भयभीत हो !
प्रखर प्रज्वलित ज्योति बन जो जलें !
निर्भीक निडर नि:छल कितने है भले !
सारे जग को रोशन करने घर से चले !
हर अंगना हर द्वार - द्वार हर हिये !
ज्योर्तिमय हो जग में मिट्टी के दीये !
 

सजे बनठन कर सोलह श्रृंगार किये !
घी के सागर में जो स्नान किये हुये !
पावन पुनीत शुभेच्छा संदेश लिये !
लहलह कर हिलोरे लेते मिट्टी के दीये !
बीतेंगी रतिया पूरी अब इनके तले !
अंतस में मिलन की ज्वाला लिये !
रातभर जलें आशाओं के दीये !
हर अंगना हर द्वार - द्वार हर हिये !
ज्योर्तिमय हो जग में मिट्टी के दीये !

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