महाभारत की कोई संभावना है
है जो चौथी पंक्ति वो इस काव्य की प्रस्तावना है
हाँ उन्हीं सीमाओं से आई हृदय में भावना है
वार दे सिन्दूर को जो देश के शृंगार पर वो
वीर की अर्धांगिनी भी देश की वीरांगना है
तर्क देकर कह रहा आवेश में कहता नहीं कुछ
प्राण बिन जीवन बिताना युद्ध जैसी साधना है
नित्य प्रतिदिन रक्तरंजित खेल सारे बंद कर दो
क विधवा एक बेटी एक माँ की याचना है
कायरों से बालकों सा युद्ध छोड़ो ये बताओ
क्या सरहदों पर महाभारत की कोई संभावना है
जो लगीं अतिश्योक्ति तुमको ये महाभारत की बातें
हमारे राष्ट्र के इतिहास की अवमानना है
हो समाप्त युद्ध या फिर शत्रु को ही साफ़ कर दो
ति के हे ईश तुझसे सिद्ध की ये कामना है