वात्सल्य की जननी
अपने दिल में जो दबाई हो
उसे होठों पे उतार दो
बनाकर तुम अपना
मुझको सुधार दो !!
फिर रहा हूँ आवारा
ज़िन्दगी के इस भीड़ में
गले से लगाकर तुम
मेरी ज़िन्दगी सवार दो !!
बहुत ठोकर खाया हूँ इस जहां में
भुला दिया था तुझको 'माँ'
कलयुगी बाजार में
भूल गया था मैं आया क्यूं
इस संसार में ?
है तेरे पैरों में ज़न्नत
और मैं फिर बाजार में !!
माफ़ करके मेरे दिल को करार दो
राजा बेटा कह करके
वही फिर दुलार दो
हाथ रख के सर पे तुम पुचकार दो
"माँ" गले से लगाकर
ज़िन्दगी सवार दो !!