आज़ादी
न उसकी गलती न मेरी खता है
इश्क़ करने वालो की यही सजा है
शिकायत बहूत है ज़माने से मुझको
हाय !लूट लिया सब कुछ क्या तुमको पता है ?
कहते हो मुहब्बत है रब का करिश्मा
इस जहां को चलता है यही करिश्मा
भूल जाते हो फिर भी अहंकार के वश में
और थोपते हो तुम अपने चाहत के रश्मे !!
छोड़ देते क्यों नही परिंदो को जीने के लिए
बांध रखे हो क्यों उन्हें ज़हर पिने के लिए
है प्यार यदि तुमसे तो आएगा तुम्हारी डाल पर
वर्ना स्वार्थवश रखे हो घुटकर जीने के लिए !!
सोने का पिंजर नही ,आज़ादी चाहिए
गाँधी को सूट नही बल्कि खादी चाहिए
उड़ने दो, हँसने दो, बड़े मासूम है हम
हमें प्रकृति भरी फूलो की वादी चाहिए !!