बी.एच.यू. से विदाई
हे प्रिये !
अब बारी है तुमसे जुदा होने की
हमे छोड़ना पड़ेगा तेरा दामन जड़ा सोने की
बहुत प्यार मिला तेरे आंचल के साये में
ग़म हमेशा रहेगा मुझको तुम्हे खोने की !!
मै जहां भी रहूँगा तेरे प्यार की कसम
पूजता रहूँगा तेरी सूरत सनम...
ज़िंदगी के दौड़ में हम तुम्हे छोड़ देंगे
ये सोचकर अभी से आंखे मेरी हुई नम !!
हे प्रिये !
मालवीय ने है सवारा कोहिनूर से बदन को
शिक्षकों ने खूब सींचा गुलशन के इस चमन को
लांखो दिलों की अरमां यूं ही नहीं हो जानम
लोग पूजते है मेरे चाँद जैसे सनम को ..!!
चाँद जैसे चेहरे पर कुछ तिल बड़े है प्यारे
मैत्री और वीटी ये नाम पड़े है सारे ..
हेल्थ सेण्टर,मधुबन की बात ही निराली
साइबर से लगा सी.एल. अधरों के तिल तुम्हारे !!
हे प्रिये !
तेरे वादियों में हमने जीवन बिता दिया
और तुमने मिट्टी से घड़ा बना दिया
अब पाना है मुझको जीवन का मंज़िल
क्या लक्ष्य है हमारा तुमने बता दिया !!