लतीफ़-शाह की यात्रा और हम दोस्त
मनचले भ्रमर से बन गए थे सभी
मुस्कराहट लबों पर था अभी-अभी
फिर अचानक से हम इतने दूर हो गए
अब भरोसा नहीं फिर मिलेंगे कभी !!
खुश थे बहुत, ख्वाहिशे कुछ नहीं
पुलकित था ह्रदय,बंदिशे कुछ नहीं
आ मिलते थे ऐसे विभाग में सुबह
जैसे पाना हो जन्नत और कुछ नहीं !!
अपना-अपना सीट,अपना-अपना गाना
करो ज़रा चेंज..,तम्मा-तम्मा बजाना
वो चाय की चुस्की और इतनी मस्ती
कैसे भूलेंगे हम साथं फोटो खिचाना...!!
याद रहेगा हमेशा लतीफ़-शाह की वादी
वो डाक-बांग्ला और शिवानी की शादी
न भूलेंगे एहसान कभी तेरा ऐ बी.एच.यू ..
ज़िंदगी है कितनी प्यारी ये तूने बता दी !!
कह रहा राहुल न तुम भूल जाना...
ये गुज़रे हुए दिन यादों में बसाना
सलामत रहना दिल की ये दुआ है
याद आये तो बस,थोड़ा मुस्कुराना ..!!