
चला गया
कुछ इस तरह से वो मेरी नज़रों से उतरता चला गया
शाम के वक़्त जैसे सूरज ढलता चला गया
हमने उससे की मिन्नत ,खुशामत ,इल्तजा
जो वो एक बार चला तो चलता चला गया
अब तो वो नहीं मरे पास उसकी यादें हैं बस
जो एक बार सोचा उसे तो सोचता चला गया
ऐसा नहीं की हर लम्हा याद आता है वो
जो जाम उठाया तो बहकता चला गया
उसकी कुछ तसवीरें संजो के रखीं हैं मैंने
जो एक बार देखा उन्हें तो देखता चला गया
शुरुवात से तो नहीं था मैं बर्बाद उससे मिलने के बाद
जो एक बार भरोसा किया उसपे तो मरता चला गया
उसकी आने की उम्मीद तो नहीं है अब मुझे
जो एक बार ढूंढ़ने निकला उसे तो बंजारा होता चला गया