
आज आसमाँ में बादल की चादर है छाई
आज आसामाँ में बादल की चादर है छाई,
बारिश की चंचल बूंदे गीत गुनगुनाई।
झूमने लगे सभी पेड़ और पौधे,
प्रफुल्लित धरा पर हरियाली है छाई।
बादलों ने क्रोध में गर्जना की,
बादलों में छुपी बिजलियाँ चमचमाई।
फूलों से लद गई पौधों की डालियाँ,
तालाब भर गए नदियाँँ उफनाई।
आज आसमान में बादल की चादर है छाई,
बारिश की चंचल बूंदे गीत गुनगुनाई।
निश्छल बच्चों की खुशी का ठिकाना ना रहा,
बच्चों ने बारिश में खूब उछल-कूद मचाई।
मयूरों ने मस्त होकर नृत्य किया,
पंख फैला-फैलाकर चिड़ियाँ नहाई।
आज आसमान में बादल की चादर है छाई,
बारिश की चंचल बूंदी गीत गुनगुनाई।
बादल में छुपा सहमा रवि निकल आया अब,
इंद्रधनुष की अलौकिक सुंदरता है छाई।
प्रकृति का ऐसा मनोरम दृश्य देखकर,
चेहरों पर सबके मुस्कुराहट खिल आई।
आज आसमान में बादल की चादर है छाई,
बारिश की चंचल बूंदे गीत गुनगुनाई।
गर्मी में तपती व्याकुल वसुंधरा,
आज बूंदो की ठंडक है पाई।
बदला-बदला सा है मौसम का मिजाज़,
हवाओं में देखो ठंडक है समाई ।
आज आसमान में बादल की चादर है छाई,
बारिश की बूंदे गीत गुनगुनाई।