सामाजिक प्राणी
कल रात देखा, कोई कुचला गया था,
इन्ही सड़को पर, खून से लथपथ |
क्या थी उसकी गलती?
या किसी और की गलती का हुआ था शिकार |
चलो छोड़ो यार !
कल के अखबार में पढ़ लेंगे ये खबर,
यही है आज की मानसिकता |
और फिर किसको हो परवाह,
वो कोई अपना थोड़ी न था .......
गर्व करो की हम सामाजिक प्राणी है |