चक्रवात
एक चक्रवात समुन्द्र की खाड़ी में,
और एक चक्रवात मेरे ह्रदय में,
दोनों व्यथित,
वो टकराती थल से,
ये टकराती मेरे मन से,
परस्पर विरोधाभाषी |
एक मन को उद्वेलित करती,
एक तन को हैं ठिठुराती,
दोनों से होता हूँ निराश,
नहीं बुझती इस ह्रदय की प्यास |
उठती हैं आँधिया निरंतर,
मैं बैठा करता हूँ मंथन,
क्या खुशियां भी हैं इस जीवन में,
या माया का जाल अनन्तर |