सत्यम शिवम सुंदरम

एक खूबसूरत सा कमरा है
गुलाबी रंग से पुती हैं जिसकी दीवारें
लगी हैं शीशम की लकड़ी से बनी किबाड़ें
एक प्यारा सा रोशनदान जो बाहर से भीतर
चुरा लाता है रोशनी की कुछ कतारें।
किनारे से सटी हुई है एक ड्रेसिंग टेबल
जिसके दर्पण मे एक नई नवेली दुल्हन
रोज अपने सौंदर्य को निहारती है।
बीच में पड़ा है एक सुंदर सा बेड
जिसके मखमली बिस्तर पर विराजमान
मुलायम तकिया बड़ा रौब झाड़ती है।
दीवार में चुनी हुई सी है एक अलमारी
जिसपे सजे हुए गुलदस्तों के नकली फूलों
को बहुत अफ़सोस है खुशबू न दे पाने का।
कोने में रखा हुआ है एक छोटा सा
लोहे का बक्सा जिसे बस एक बहाना
चाहिए अपनी चमक पर इतराने का।
 

सबसे अधिक अभिमानी वही लोहे का बक्सा है
जिसे रोज मिलता है दूध से गोरे हाथों का स्पर्श
जो इसे अक्सर खोलते या बंद करते हैं
कोई जरूरी सामान रखने या निकालने के लिए।
कमरे के बाकी सदस्यो को वह अपने आगे
कुछ नहीं आँकता है
दिख जाए आसपास कोई फटा-पुराना झोला
तो मुँह सुकोड़ लेता है ।
उसके अभिमानी थरमोमीटर का पारा इतना
ऊपर रहता है मानो वह लोहा नहीं चाँदी हो।
 

वह अंजान है इस बात से कि ये जो वक्त की
हवाएं है न, किसी छुपे रुस्तम से कम नहीं
ये अपने अंदर समेटे होती हैं
परिवर्तन की कई सारी छोटी-छोटी बूंदें।
जब ये वक़्त की हवाएं, परिवर्तन की बूंदें
थाम लेती है लोहे की चमक का संग
तो धीरे-धीरे जन्म लेने लगती है ज़ंग।
 

उसकी चमक अब फीकी पड़ गई है
वह अब उन गोरे हाथों को नहीं भाता
उस सजे हुए से कमरे में
अशोभनीय प्रतीत होता है
वे हाथ उसे खाली करके डाल देते हैं
किसी स्टोर रुम में।
अब जाकर तकिया का रौब थोड़ा कम हुआ
दीवारों का गुलाबी रंग फीका पड़ गया
ड्रेसिंग टेबल का शीशा धुंधला पड़ गया।
 

पर अब वे फूल खुश हैं क्योंकि जान गए है
अगर खुशबू देते तो मुरझा भी तो जाते
और अगर मुरझा जाते तो कमरे से
बाहर फेंक भी दिए जाते।
पर अभी भी मूर्ख है वे गोरे हाथ,
जो हकीकत सामने होते हुए भी अंजान है
वे नहीं जानते कि एक दिन उन हाथों की
चमक को घेर लेंगी,अनगिनत सलवटें
और तब उनके प्रिय भी कर देंगे उनका
उस लोहे के बक्से जैसा ही तिरस्कार।
 

वह बक्सा नहीं जानता था कि असली
सुन्दरता कभी उस बाहरी चमक में थी ही नहीं
उसे तो एक दिन ज़ंग लगनी ही थी
असली सुन्दरता तो अंदर बाली खाली जगह में थी
जिसमें भरे जा सकते थे ज़िन्दगी के कई रंग।
उसमें रखा जा सकता था कोई कुर्ता
जिसका सफेद रंग शांति की सुन्दरता के बारे में बताता
कोई कमीज़ जिसका हरा रंग
प्रकृति के सौंदर्य से परिचित कराता
किसी दुल्हन का जोड़ा जिसका लाल रंग
दूसरों के जीवन में खुशियों की लालिमा भरना सिखाता
कुछ नज़्म,कुछ कविताएँ
कुछ श्रृंगार रस वाली
जो प्रेम की सुन्दरता के बारे में बताती
कुछ वीर रस वाली
जो खोए साहस को जगाती
कुछ किताबें जो बता पातीं
'सत्यम शिवम सुन्दरम' का अर्थ
और वह जान पाता कि
वास्तविक सुंदरता पर कभी ज़ंग नहीं लगती।
इसके बाद भी अगर बच जाती कुछ जगह खाली
तो रखे जा सकते थे कुछ गुड्डे और गुड़िया भी
जो हमेशा जीवंत रखते
बचपन की सुंदरता को

अपने विचार साझा करें




0
ने पसंद किया
777
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com