मै गंगा हूँ
मुझे पता है कि मै गंगा हूँ
मुझे याद है कि मै गंगा हूँ
कहने को मै जग माता हूँ,
मेरा दर्द न समझे कोई,
मै अपने आंसू खुद में समा जाती हूँ,
पर क्या माता समझी जाती हूँ,
दूर दूर से आकर लोग,
मेरे दर्शन पाते है,
पूजा पाठ करते है, और स्नान भी करके जाते है |
क्योकि मै गंगा हूँ,
कहने को मै जग माता हूँ,
पर क्या माता समझी जाती हूँ?
अस्थि विसर्जन मुझमें होता,
और पापी भी पाप मुक्त हो जाते है |
और मेरे जल को ले जाकर,
मंदिर में रखा जाता है |
कहने को मै एक माता हूँ,
पर क्या माता समझी जाती हूँ?
मेरे पवित्र जल को गंदा करके,
मुझे माता कहा जाता है,
पूंछू तो मै जग से सारे,
उनकी माता के बारे में,
क्या वो अपनी माता से भी,
ऐसा ही व्यवहार करते है?
और क्या अपने घर को भी ऐसा ही गंदा करते है?
कहने को तो मै जग माता हूँ,
पर क्या माता समझी जाती हूँ?
घर-घर तक यह सन्देश पहुंचे,
मेरी यह अभिलाषा है,
कोई तो आगे बढे,
मेरे जल को स्वच्छ करे,
मुझे पावन का अहसास करवाए,
खुद से यह प्रण करो,
और मेरे जल को स्वच्छ करो,
तभी मै एक माता हूँ,
और वास्तव में माता समझी जाती हूँ,
मै गंगा हूँ |