
अधूरी बाते
दौड़ के देखा बहुत मैंने,
अब रुकना भी जरुरी है,
खामोश यूँ कब तक रहूँ,
कुछ कहना भी जरुरी है,
लब्ज उन्हें फिर बोलना चाहे,
जो बाते अधूरी है,
जो सपने देख रही है आंखे,
उनसे कितनी दूरी है,
पास तो मेरे कुछ नहीं है,
बस खाली एक झोली है,
दिल उन्हें फिर सुनना चाहे,
जो बाते अधूरी है,
राज तो बहुत छिपे है मन में,
कुछ अधूरी कुछ पूरी है,
सपने की पतंग उड़ेगी फिर से,
हाथ में जिसकी डोरी है,
पढ़ने उन्हें फिर चला हूँ,
जो बाते अधूरी है,
नीले गगन में छा गई है,
सूरज की सिन्दूरी है,
पवन के झोके वृक्षो के संग,
गा-रहे एक लोरी है,
जिज्ञासा मेरी अब जानना चाहे,
जो बाते अधूरी है,