
कुछ बाते प्रकृति कि
ढलता सूरज कहे रहा है,
हौसला अब संजो लो तुम,
लाऊंगा फिर एक सुबह मै,
शुरुआत जिंदगी की कर लो तुम |
बहती हवाएं कहे रही है,
कदम अब बढ़ा लो तुम,
लाऊंगा फिर एक झोंका मै,
उड़ान सपनो की भर लो तुम |
नदी की धारा कहे रही है,
दौड़ जिंदगी की लगा लो तुम,
लाऊंगी फिर एक धारा मै,
लक्ष्य को पाना सीख लो तुम |
उड़ता बादल कहे रहा है,
सिर ऊँचा अब कर लो तुम,
लाऊंगा फिर एक वर्षा मै,
उम्मीद का सागर भर लो तुम |
ऊँचा पर्वत कहे रहा है,
सबसे ऊँचे हो जाओ तुम,
लाऊंगा फिर एक बहार फिजा में,
दिल से वादा कर लो तुम |
वृक्ष की शाखाएं कहे रही है,
सच अपनाना जान लो तुम,
लाऊंगी फिर एक सादगी जहान में,
आदर इस बात का शिश झुकाकर कर लो तुम
प्रकृति हम से कहे रही है,
नामुमकिन अब कुछ नहीं,
साहस ऊँचा करके यारो,
विश्व ये सारा जीत लो तुम |