ये दोस्ती कैसे बया कर दु
ये दोस्ती कैसे बया कर दु ।
सागर को कैसे नदी लिख दु ।
जितना भी लिखू कुछ कम ही होगा ।
कैसे में सूरज का उजाला लिख दु ।
समंदर को खारा कह भी देते
अंधेरे को उजाला कह भी देते ,
पर तुम हो ही इतने रोशन ,
में चन्द्रमा को कैसे तारा लिख दु ।
ये दोस्ती कैसे बया कर दु -2
सहजता तेरी कैसे बया कर दु ।
आसमा को केसे जमी लिख दु ।
जीतना भी लिखू कुछ कम ही होगा ।
कैसे में महकती खुशबु को लिख दु
सुंदरता को रंगों से दिखा भी देते,
गुलाबो की गरिमा बता भी देते,
पर तुम हो ही इतने कोमल,
में फूलो को कैसे काटा लिख दु ।
ये दोस्ती में कैसे बयां कर दु ।-2
ये लहजा तुम्हारा कैसे बया कर दु ,
अम्रत को कैसे गरल लिख दु ।
जितना भी लिखू कुछ कम ही होगा ।
कैसे में बहती पवन को लिख दु ।
समंदर की गहराई बता भी देते ,
पर्वत की ऊँचाई दिखा भी देते ,
पर तुम हो ही इतने दिलदार ,
में हिमालय को कैसे कंकर लिख दू ।
ये दोस्ती में कैसे बया कर दु ।।