
अन्तर्जातिय विवाह
अन्तर्जातिय शादी ने सबको आपस में जोड़ दिया,
जात-पात, भेद भाव के रंगों को पीछे छोड़ दिया,
ये त़िलिस्म है तक़निकी और बेहतरीन ता़लीम का,
जिसनें रिवाज़ों की ज़र्ज़र दीवारों को तोड़ दिया!
अन्तर्राष्ट्रीय गुलशन की ये छवि छठा ही न्यारी है,
पढ़े लिखे क़ाबिल लोगों की दिखती अलग क्यारी है,
प्रेम प्यार से गुस्से को भी इन्हें निभाना आता है,
बहूरंगी सतरंगी सोच ये लोकल रंग पर भारी है!
इसी सोच ने सामाजिक चेहरे का मुँह मोड़ दिया,
जात-पात, भेद भाव के रंगों को पीछे छोड़ दिया!
सबक़ ज़माने को अब इस नयी पीढ़ी का पैग़ाम है,
रिय़ाया है सब यहाँ ना कोई राजा या निज़ाम है,
हक़ है सबको यहाँ चैन से रहने और जीने का,
इन्कलाब़ ही वरना अब ज़ोरज़बरदस्ति का अंजाम है!
नये खूँ ने तो क़ायदे की किताब़ को ही मरोड़ दिया,
जात-पात, भेद भाव के रंगों को पीछे छोड़ दिया!
आँखें खोलो! रूढ़िवादी सदी बीसवीं गुज़र गयी,
कौम धर्म की कटुता से तो मानवता भी सिंहर गई,
कुएें के ये मेंढ़क तो बस टर्र टर्र करते रह जायेगें,
कद़मताल कर दुनिया हमसे आगे निकल गई!
नयी नस्ल के युवाओं ने तो आत्मा झँझोड़ दिया,
जात-पात, भेद भाव के रंगों को पीछे छोड़ दिया!