देखो देखो ठंडी है आई
देखो देखो ठंडी है अब आई
कर आई वों गर्मी कि विदाई
कर दिया सूरज को भी नम
चारो तरफ देखो कैसी धुंध छाई
एक तो ठण्ड ऊपर से तेरी जुदाई
नहीं मुझ से अब सही जाई
क्यों गयी तू छोड मायके,
तेरे बिना नींद मुझे ना आई
आजा अब तू लौटकर,
क्यों बैठी है मुह मोड़कर
छेड रही है मुझको,
तेरी यादों कि पुरवाई