आखिरी फ़ोन कॉल

मैं अब कभी तुमसे बात नही करुँगी अभिनव, वरना तुम्हे भी मुझसे बात करने की आदत हो जाएगी, आदिति ने रुँधे गले से कहा !
कितना कुछ ठहर सा गया था एक पल में ! दिल्ली रात और दिन का अंतर कहा समझती है, चौबीसो घण्टे सड़को पर गाड़ियों के काफिले देखे जा सकते है ! भीड़ भरी गलियो में ट्रैफिक की आवाजे सुनी जा सकती है ! पर उस पल लगा जैसे अभिनव के कमरे में घड़ी की सुईया भी मौन हो गई हो ! यह सन्नाटा अभिनव के अंदर का सन्नाटा था जिसने बाहरी दुनिया के शोर को भी निष्प्राण कर दिया था !
हेल्लो, हेल्लो ! सुन रहे हो, कुछ बोलो ना, आदिति की आवाज से अभिनव की तन्द्रा टूटी ! 
हाँ आदिति, ठीक है ! अभिनव ने आँखों को सहलाते हुए कहा !
तुम ठीक हो ना,अभिनव आदिति ने हल्की,दबी आवाज में पूछा ?
तुम्हे क्यों फर्क पड़ता है, अभिनव ने प्रश्न में ही अपना उत्तर दिया !
देखो अभिनव तुम बहुत अच्छे हो, तुम्हे तो कोई भी लड़की मिल जाएगी ! पर अब मैं किसी से प्यार नही कर पाऊँगी ! मैं अब भी अजय को ही चाहती हूँ और हमेशा उसे ही चाहूँगी, आदिति कहते कहते चुप हो गई !
अभिनव के अंदर जैसे कुछ टूट सा गया ! वो इसलिए तो परेशान था ही की वो आदिति की आवाज कभी नही सुन पायेगा पर उसे ज्यादा डर इस बात का था कि कही आदिति फिर से अजय के झांसे में ना जाए ! कितना कुछ सह चुकी थी वो ! जब अजय ने उसे छोड़ा था तब घण्टो अकेले में रोती रहती थी ! आज भी वो किसी से नही मिलती, केवल अपने कमरे में कैद होकर रह गई थी !
पर अभिनव कर भी क्या सकता था, वो तो ठीक से आदिति को जानता भी नही था बस फेसबुक पर बात हुई थी और फिर तीन चार बार फ़ोन पर ! आदिति की आवाज में इतना चुम्बकत्व था कि अभिनव ना चाहते हुए भी उसकी तरफ खिंचा चला जाता था ! उसे पता था आदिति उससे इसलिए दूर जाना चाहती थी क्योंकि उसे डर था कि कही अभिनव उसे ना चाहने लगे ! शायद वो भी अभिनव को पसंद करने लगी थी पर अब उसमे खुद से लड़ने की हिम्मत भी कहा बची थी ! और आदिति अब दुबारा किसी पर भी विश्वास करने को तैयार नही थी ! और होती भी तो कैसे अजय ने भी तो कितने वादे किये थे उससे ! वादा कि उसके बाद उसकी जिंदगी में कोई नही आएगी, वादा कि वो उसे कभी अकेला नही छोड़ेगा, वादा कि वो आदिति से शादी करेगा ! और भी ना जाने कितने जो सब एक पल में टूट गए थे ! और इस सबका इल्जाम भी आदिति पर लगाया था उसने था उसने ! उससे क्या कुछ नही कहा अजय ने ! यहां तक कि अजय की नई प्रेमिका ने भी आदिति को कितना कुछ सुनाया था ! और वो फिर भी अजय से मिन्नतें कर रही थी ! जो गलती उसने नही की उसकी माफ़ी मांगे जा रही थी ! आखिरी बार अजय को मिलने बुलाया था आदिति ने तब वो उसकी पसंद का गाजर का हलवा बना कर लायी थी ! पर अजय ने उसे चखने तक से मना कर दिया था ! बस वो एक बार अजय को गले लगाकर रोना चाहती थी पर अजय की बेरुखी ने तोड़ दिया था उसे ! वही पर रोते रोते गिर पड़ी थी ! और अजय ये सब देखकर भी वहां से चला गया ! आदिति की कुछ सहेलिया उसे वहां से लेकर गई थी ! उसके बाद कितनी रोई थी वो अकेले में ! ये सब वो बाते थी जो आदिति ने किसी से भी नही की थी ! पर ना जाने क्यू उसने अभिनव को ये सब बता दिया था ! और सुनते सुनते अभिनव भी रो पड़ा था ! वो सोच रहा था कि ये कैसा प्यार है आदिति का जो अजय की इतनी बेरुखी के बाद भी वैसे का वैसा है ! अभिनव आदिति से कहने लगा देखो आदिति सच का सामना करो ! अजय को पहचानो वरना फिर तुम्हारे साथ ये सब हो सकता है ! जिंदगी में आगे बड़ो ! 
तुमने कभी प्यार नही किया ना अभिनव इसलिए, आदिति बीच में ही बोल पड़ी !

मैं जो हर घड़ी आदिति के बारे में सोचता रहता हूँ,और आदिति मुझे उसे खोने की तकलीफ ना हो इसलिए आज खुद ही मुझसे दूर जा रही है ! क्या ये सब प्यार नही है, अभिनव मन ही मन सोच रहा था कि उसे आदिति की आवाज सुनाई दी !
चाहे वो कुछ भी करे मैं उससे प्यार करना नही छोड़ सकती ! और हाँ इसीलिए अब हम बात नही करेगे ! मैं नही चाहती कि तुम मेरे बारे में कुछ भी सोचो ! मैं अब किसी के साथ भी नया रिश्ता नही जोड़ पाऊँगी ! मैं कभी और किसी से प्यार नही कर पाऊँगी ! 
आदिति, हम केवल दोस्त रह सकते है, यू डोंट वॉरी ! अभिनव ने खुद को समझाते हुए कहा !
नही अभिनव इससे तुम्हे और मुझे दोनों को प्रॉब्लम होगी ! मुझे सिविल क्लियर करना है, और उसके बाद मैं एक लड़की गोद ले लूँगी ! उसे पढ़ाऊंगी ! बस यही सब करना है मुझे ! तुम मुझे माफ़ कर देना,अभिनव !
नही आदिति ! माफ़ी तो मुझे मांगनी चाहिए कि आज मेरे कारण तुम्हे मुझसे दूर जाना पड़ रहा है ! 
तुम ठीक कहती हो, हम बात नही करेगे ! शायद मिलेंगे कभी तब जब मेरा पोएट्री शो होगा किसी शहर में,और तुम वहां पर जिला कलेक्टर रहोगी या फिर जब 
जब तुम्हारे हाथ में मेरी शायरी की किताब होगी,तब ! हाँ तब मैं तुम्हे वो सब बताऊंगा आदिति जो आज नही कह सकता ! 
मैं शायरी नही पढ़ती, अभिनव के आगे बोलने से पहले ही आदिति ने कहा ! अच्छा पर चलो तुम्हारी किताब पढ़ लूँगी !

तारूफ रोग हो जाये, तो उसको भूलना बेहतर,

ताल्लूक बोझ बन जाये तो उसको तोड़ना अच्छा !

वो अफ़साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन,

उसे एक खूबसूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा !!

अभिनव ने साहिर लुधियानवी की नज्म की कुछ पंक्तियां पढ़ी !
आँसुओं के साथ दोनों हँसने लगे और कॉल कट गया !

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