एक अद्भुत संघर्ष की कहानी

रमन का गांव बिहार राज्य के पिछड़े क्षेत्र में पड़ता था।पढाई का माहौल नहीं था। राजकीय प्राथमिक विद्यालय 4 किलोमीटर की दूरी पर दूसरे गांव में पढ़ता था। रमन का घर मिट्टी का था ।बचपन में रमन के पापा की मृत्यु हो गई थी ।उसके घर में मां ,एक बूढ़ी दादी और रमन थे। उसके मां की तबीयत भी खराब रहती थी। उसकी मां खेतों में काम करती और रमन उसकी मदद करता था ।वह गाती" चंदा है तू मेरा सूरज है तू ,ओ मेरी आंखों का तारा है तू ,जीती हूं मैं तुझे देख कर इस टूटे दिल का सहारा है तू "। वह कहती "बेटा, तू आस है ,मैं तो तेरे लिए ही जीती हूं ।उसकी मां पढ़ी-लिखी नहीं थी पर अपने बेटे को पढ़ाना चाहती थी ।कमजोर होते हुए भी वह अपना अंतिम प्रयास करती। रमन की मां खेतों मेँ काम करती। पडोसी के घर में झाड़ू पोछा लगाती ।बहुत कष्ट सह रही थी वह, साड़ी नहीं खरीदी थी ,उन पैसों से रमन के लिए किताब स्कूली खर्च चलाती। रमन के शिक्षा के लिए उसने अपने सुखों की बलि दे दी थी।अद्भुत होता है माँ का त्याग।रमन मां के दर्द को समझता,मेहनत लगन,से पढ़ता। रमन जब रात में पढ़ता तो मैं उसे देखती और देखते देखते सो जाती ।"तू बस खूब अच्छे से पढ़ बेटा, तेरी पढ़ाई ही मेरे लिए सब कुछ है ,मेरा गहना तो तू ही है"वह कहा करती। रमन की मां उसे 4:00 बजे सुबहउठा देती एवं पढ़ने को कहती।

रमन बहुत मेहनती था। 9:00 बजे से पढ़ने जाता एवं 4:00 बजे आता। फिर काम में मां की सहायता करता। वह बहुत सीधा ,नेक ,इमानदार और मेहनती था। माँ की तबियत खराब रहती थी।जब वह आठवीं में था तो उसके दादी की मृत्यु हो गई ।रमन को बहुत बड़ा सदमा लगा। वह बहुत रोया ,उसका जीवन कष्टों से भरा था। मां की तबीयत खराब रहती थी ,उसकी मां तपेदिक बीमारी से ग्रसित थी। रमन माँ ,अपने घर की हालत देखकर बहुत दुखी होता।माँ उसे पढ़ाई पर ध्यान देने को कहती। दसवीं कक्षा में पहुंचकर रमन और मेहनत करने लगा। मां ने उससे कहा "बेटा तुम गांव में सबसे अधिक अंक लाना" मां की इच्छा के लिए रमन ने बहुत लगन, मेहनत से पढ़ाई की ।जब गांव में सबसे अधिक अंक रमन के आए तो उसकी मां को बहुत खुशी हुई ।गुदड़ी के लाल का अद्भुत कमाल।आगे की पढ़ाई के लिए रमन को शहर जाने की जरूरत थी। पढ़ाई लिए पैसे की जरूरत थी। मां ने इसके लिए जमीन गिरवी रखी और रमन को पढ़ने के लिए शहर भेजा। मां की तबीयत खराब देखकर रमन जाना नहीं चाहता था पर मां ने कहा "बेटा तू जा, पढ़ाई कर ,मेरी परवाह न कर, तेरी पढाई ही मेरे लिए हर सुख है "। रमन शहर चला गया।माँ की दशा पर वह रो रहा था। मां की तबीयत भी खराब रहती थी। शहर आकर पैसे से कोचिंग में नामांकन करा लिया। कमरा किराये पर लेकर रहने लगा। किराए खर्चे एवं अन्य खर्च के लिए समस्या थी। वह माँ पर बोझ नहीं बनना चाहता था। खर्च निकलने के लिए सुबह उसने एक अखबार बेचना शुरु कर दिया, पोस्टर भी बांटा ट्यूशन की तलाश करने लगा ।उसके लिए बहुत भटकना पड़ा ।बहुत दर्द झेलना पड़ा ।बाद में ट्यूशन मिला 6 माह बाद ,बहुत कम पैसे वाली। अधिक मेहनत, कम ।ैसा,शोषण।"इतना भटका, कितना दर्द सहा,शोषण ही शोषण"।गणित,रसायन,भौतिकी,पढाई निश्चित दिनचर्या से करता।
उसने अपनी दिनचर्या बनाई थी ,पढ़ाई के घंटे निश्चित कर रखे थे ।तमाम मुश्किलों के बावजूद उसकी पढ़ाई बहुत अच्छे से चल रही थी । उसका समय प्रबंधन बहुत अच्छा था ।किसी प्रकार पढाई के लिए समय निकाल लेता।.पढ़ाई पर इसका असर नहीं आने देता था । उसने स्वाध्याय मेहनत ,लगन से की। उत्साह बढ़ता ही गया एवं पढ़ाई पर पूरा ध्यान देता। मां की तबीयत बदतर होती जा रही थी ।रमन के मां को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था। मां के इलाज के पैसे के लिए जमीन बेचना पड़ा ।मां की तबीयत में सुधार नहीं हुई। पूरा पैसा लगाने के बादभी रमन के मां को बचाया न जा सका ।रमन को बहुत बड़ा सदमा लगा ।आज उसकी जिंदगी का सबसे दुखदाई दिन था। दुःख का सागर टूट पड़ा था। वह इन सब से बाहर निकल नहीं पा रहा था।असहनीय पल,वह अनाथ हो गया था।"चंदा है तू,सूरज  है तू .......राम करे एक दिन बनके बड़ा, तू जैसे गगन में उड़े,तुझे देख लोग कहे ,किस माँ का दुलारा है तू"।"मुझे संघर्ष करना है, माँ का नाम रोशन करने के लिए पढ़ना है"मन में ठान ली।4 मां बाद उसकी 12वीं की परीक्षा थी। उसके मां की आखिरी इच्छा थी उसका बेटा पढ़ाई करें और बड़ा आदमी बने ।

रमन ने पढ़ाई पर पूरा ध्यान दिया।रात-दिन एक कर दिया । 12वी परीक्षा में इस बार प्रखंड में सबसे अधिक अंक रमन के आए, उसका उत्साह बढ़ता ही गया ।उसे गणित में बहुत अधिक रुचि थी। पटना आकर पटना विश्वविद्यालय से बीएससी करने लगा ।गणित में उसकी बहुत अधिक रुचि थी। वह ट्यूशन भी पढ़ाता था। बाद में उसने गणित से एमएससी किया एवं पटना विश्वविद्यालय से phd किया । इस बीच ट्यूशन भी पढ़ाता रहा ।वह गायत्री परिवार से जुड़ गया था।सदा जीवन उच्च विचार ,उसके जीवन का आदर्श था।सामाजिक कार्य में उसकी बहुत रुचि थी।जीवन के पलों से संघर्ष करता रहा। वह अपनी मेहनत और लगन से पटना विश्वविद्यालय में गणित विभाग का प्रोफ़ेसर और बाद में लगन ,मेहनत से प्रधान बना ।साथ ही उसने कोचिंग भी खोला। उसके पढ़ानें की शैली बहुत शानदार थी।वह बहुत ईमानदार था। खुद उसने भी कष्ट झेला था, वह पूरे मन से पढता,सर्वश्रेष्ठ प्रयाश करता। धीरे-धीरे वह पटना का सबसे प्रसिद्ध गणित शिक्षक बन गया। उसके यहां नामांकन के लिए बहुत भीड़ होती थी ।सबसे अधिक छात्र उसके यहाँ पढ़ते। इस शहर में जहाँ उसने बहुत संघर्ष किया था ,पोस्टर बाटा, अखबार बांटा, शहर की गलियों में भटका ,दर-दर की ठोकर खाई,लाख कष्ट झेले,वहां आज वह अपने संघर्ष से बहुत बड़ी पहचान बन चूका था। वह बहुत समाजिक आदमी था ।वह बचपन से ही बच्चों को पढ़ाया करता था, शुरु में गांव में वह पैसे नहीं लेता था पर फिर भी बच्चों को पढ़ाया करता था। पूजन में उसकी गहरी रुचि रुचि थी। सुबह उठकर ही नहा-धोकर वह भगवान पूजन करता था। वह गायत्री परिवार से जुड़ गया था ।वह बहुत दयालु , समाजिक व्यक्ति था । "वह गुणों का भण्डार है,अपने संघर्स से कितना आगे बढ़ गया वह"गांव के लोग कहा करते। राही संघर्षशील व्यक्ति अपने अंतिम सांस तक अंत समय तक अद्भुत संघर्ष करता है तो दुनिया की हर मुश्किल उसके आगे सर झुकाती है, साधन अभाव उसके आगे परेशानी नहीं बन पाता। उसका व्यक्तित्व कष्टों से टकराकर और चमक उठता है ।जीवन में कभी हार मत मानो ,जीवन के चुनौती स्वीकार करो, यदि कोई संघर्ष नहीं है तो प्रगति नहीं है। मनुष्य का व्यक्तित्व संघर्ष से ही निखरता है एक मनुष्य संघर्ष से लड़कर ही जीवन में आगे बढ़ता है ।उसने बहुत संघर्ष किया था, बहुत कष्ट खेला था शहर में जहां उसका कोई नहीं था, उसने बहुत संघर्ष किया था ।हालांकि उसे बहुत दर्द होता था पर फिर भी उसने अंतिम अंतिम सांस तक संघर्ष किया था ।वह बहुत ही नेक और ईमानदार था।

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