ठाकुर

जीवन परिचय

ठाकुर के पिता का नाम गुलाबराय था। ये बुंदेलखंड के निवासी कायस्थ घराने के थे। ठाकुर को जैतपुर, बिजावर और बांदा नरेशों से धन तथा सम्मान प्राप्त हुआ। ठाकुर प्रेम और शृंगार के कवि हैं। स्पष्टवादिता एवं स्वाभाविकता इनकी कविता का मुख्य गुण है। भाषा बोलचाल की है, जिसमें मुहावरों का पुट है। ये रीतिकाल के 'मधुर' कवि कहलाते हैं। लाला भगवानदीन ने इनकी रचनाओं का संग्रह 'ठाकुर-ठसक' के नाम से प्रकाशित किया है।

लेखन शैली

ठाकुर प्रेम और शृंगार के कवि हैं। स्पष्टवादिता एवं स्वाभाविकता इनकी कविता का मुख्य गुण है। भाषा बोलचाल की है, जिसमें मुहावरों का पुट है। ये रीतिकाल के 'मधुर' कवि कहलाते हैं।

प्रमुख कृतियाँ
क्रम संख्या कविता का नाम रस लिंक
1

दस बार, बीस बार,

अद्भुत रस
2

सेवक सिपाही सदा उन रजपूतन के 

वीर रस
3

धनि हैँगे वे तात औ मात

अद्भुत रस
4

यह प्रेम कथा कहिये किहि सोँ

करुण रस
5

आरस सोँ आरत सँभारत

शांत रस
6

बैर प्रीति करिबे की मन में न राखै सँक

अद्भुत रस
7

मेवा घनी बई काबुल में,

अद्भुत रस
8

रूप अनूप दई बिधि तोहि तो

शृंगार रस
9

हिलि मिलि लीजिये प्रवीनन ते आठो याम 

शांत रस
10

वा निरमोहिनि रूप की रासि न

शृंगार रस
11

अब का समुझावती को समुझै

अद्भुत रस
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