मातृ शक्ति तुम्हें नमन Vivek Tariyal
मातृ शक्ति तुम्हें नमन
Vivek Tariyalवात्सल्य सरोवर सी बहती वह,
जीवन भर सब सहती वह
त्याग तपस्या की देवी वह ,
हर कुटुंब की है सेवी वह
करती है जिस साहस से, हर घाव को सहन
मातृ शक्ति तुम्हें नमन, मातृ शक्ति तुम्हें नमन
घर घर को जो यूँ महकाऐ,
ममता रस नित यूँ छलकाऐ
अपनों के हित जिसने अपने,
हृदय स्वप्न सब बिसराये
रखती है जिस दृढ़ता से निज हृदय पर पाहन
मातृ शक्ति तुम्हें नमन, मातृ शक्ति तुम्हें नमन
कभी देव स्वरूपा कहलाती ,
कभी स्नेहपूर्वक सहलाती
ममता रस की है स्रोत वही,
सौंदर्य बोध पर इठलाती
जिसके पवित्र संसर्ग में हर पाप हो दहन
मातृ शक्ति तुम्हें नमन, मातृ शक्ति तुम्हें नमन
नारी तेरी महिमा अपार
तुझसे निर्मित है यह संसार
फिर आज क्यों हो रहा,
तेरी अस्मिता पर वार
समय आ गया है अब झाँसी वाला चोला पहन
मातृ शक्ति तुम्हें नमन, मातृ शक्ति तुम्हें नमन
माँ काली का रूप है तू
भयंकर तेरी हुंकार है
शत गजों का बल है तुझमें
सहस्रों नागों की फुँकार है
लजाता हो जिसको देख सूरज, झुकता हो यह गगन
मातृ शक्ति तुम्हें नमन, मातृ शक्ति तुम्हें नमन
अपने विचार साझा करें
नारीअनेक भूमिकाऐंं निभाती है, कभी माँ, कभी बहन, कभी पत्नी, कभी बेटी ।इस शक्ति स्वरूपा की सबसे विशिष्ट बात है इसके अंदर कभी न समाप्त होने वाला धैर्य । किन्तु आज नारी को इस धैर्य की परीक्षा हर कदम पर देनी पड़ती है । लेकिन अब समय आ गया है जब वह पूरे विश्व को अपना दूसरा रूप दिखाऐऔर वह प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त करेजिसकी वह सच्ची हक़दार है ।