जीवन सत्य है "संघर्ष" Vivek Tariyal
जीवन सत्य है "संघर्ष"
Vivek Tariyalसबका जीवन बीत रहा है मुश्किलों से लड़ने में
अंतर साहस रीत रहा है कर्म-पथ पर चलने में
संघर्ष ही जीवन यथार्थ है बाकी सब हैं भ्रम प्यारे
मन को कर पत्थर कठोर ही चलता जीवन क्रम प्यारे
जीवन है उस मनुष्य में जो कर्मठता का पर्याय हो
पेट पाल कर अपने जन का नित करता स्वाध्याय हो
जीवन है उस माँ में जो शिशु पर अपना सर्वस्व लुटाती है
उसके हित असह्य वेदना सहकार जो मुस्काती है
जीवन है उस नदिया में जो सबकी प्यास मिटाती है
अपने पावन जल से सभी जीवों को तृप्त कर जाती है
जीवन है उस मनुष्य में जो न भाग्य भरोसे रहता है
जिसके अंतर का साहस विधि को भी चुनौती देता है
बिना संघर्ष किये जो मिलता वह तो भीख समान है
परिश्रम करके जो हासिल हो उसमे ही सम्मान है
संघर्ष ही जीवन सत्य है इसमें कोई दोराह नहीं
जब मन में हो इच्छा प्रबल फिर पथ की कोई परवाह नहीं
जो मंज़िल पाना चाहता है तो शूलों से घबराना कैसा ?
शारीरिक सुखों की खातिर पथ बाधाओं से डर जाना कैसा ?
संघर्ष की ज्वाला में जलकर तू कंचन बन जाएगा
अंतर शक्ति के बल पर स्वर्णिम भविष्य ले आएगा
कर्म-पथ ही एकल विकल्प है अपनी मंज़िल तक जाने का
संघर्ष ही एकल विकल्प है अनंत कीर्ति को पाने का
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इसमें कोई संदेह नहीं की सफलता के द्वार को खोलने हेतु परिश्रम रुपी कुंजी की आवश्यकता होती है । किन्तु आज का मनुष्य थोड़े प्रयत्नों के पश्चात ही अपने हथियार डाल देता है और निराशा को गले लगा लेता है , इस कविता के माध्यम से कवि ऐसे लोगों को सन्देश देना चाहता है की संघर्ष ही जीवन का यथार्थ है जो आजीवन चलता रहता है, वही हमारे जीवित होने की निशानी है । अतः हमें संघर्ष को जीवन का हिस्सा मानकर अपना जीवन आगे बढ़ाना चाहिए, ऐसा करने पर हर दुःख सुख में एवं हर निराशा आशा में परिवर्तित हो जाएगी ।