ज़िन्दगी का सफ़र  Vivek Tariyal

ज़िन्दगी का सफ़र

Vivek Tariyal

सफ़र जो शुरू हुआ है जन्म से
सफ़र जो चलेगा जीवन अंत तक
सफ़र जिसमें कुछ को राहें मिल गईं
सफ़र जिसमें कोई गया राहें भटक

इस सफ़र में हम मिले कुछ अपनों से
इस सफ़र में हम घिरे कुछ सपनों से 
चाह है बस लक्ष्य की खातिर चलें हम अंत तक
किसी मोड़ मिल जाएंगी राहें, किसी मोड़ जाएंगे भटक 

इस सफ़र ने हमको बताया राज़ जीने का
इस सफ़र ने कौशल सिखाया गम को पीने का
इस सफ़र के हर मोड़ पर, विधि ने दिया हमको पटक
सफ़र चलते किसी मोड़ राहें मिली, किसी मोड़ हम गए भटक

मुश्किलों ने साथ जब छोड़ा नहीं
नियति ने भी भाग्य जब मोड़ा नहीं
जिन अपनों  से थोड़ी आस थी, वह भी आगे बढ़ गए कन्धा झटक
किसी निर्जन मोड़ पर राहें मिली, किसी निर्जन मोड़ हम गए भटक

क्या मांगते ईश्वर से कुछ कम वेदना
जीवन लक्ष्य एकल है हमको भेदना
पुरुषार्थ के बल-तेज से, पुष्प बन जाएगा हर पथ कंटक
किसी मोड़ मिल जाएंगी राहें, किसी मोड़ जाएंगे भटक 

जीवन सफ़र में ऐ पथिक एकल ही चलना है हमें
हर चुनौती पार कर, अग्नि में जलना है हमें
भौतिक सुखों को त्याग दे, इस मोह में तू मत अटक
किसी मोड़ मिल जाएंगी राहें, किसी मोड़ जाएंगे भटक।

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