कल्पनाओं से जीवंत शहजादी arjit pandey
कल्पनाओं से जीवंत शहजादी
arjit pandeyऐ मेरी कल्पनाओं से
जीवंत शहज़ादी
तुमसे मिलने को
मेरा दिल बेचैन रहता है
तुमसे रूबरू होना
चाहता हूँ
तुम्हारी झील सी आँखों में
डूबकर उसकी
गहराई नापना चाहता हूँ
बालो में उलझकर
सुलझना चाहता हूँ
तुम्हरी होंठों की लालिमा देख
चिढ़ते हुए गुलाब की कोमलता
को कठोर बनते हुए
देखना चाहता हूँ
तुम्हारे गीतों से चहकते हुए
पक्षियों का खुले आसमान में
झूमना, देखना चाहता हूँ
जानता हूँ कल्पना
को हकीकत बनाने के लिए
समय की धारा में बहकर
दूर तलक जाना होता है
मैं तैयार हूँ
मैं तुम्हारी चाह की नाव
में बैठकर
इस धारा में तैर जाऊंगा
इसी उम्मीद के साथ
कि कभी तो मेरी इस कल्पना
का कोई अस्तित्व होगा।