ज़िन्दगी का सच Arjit Pandey
ज़िन्दगी का सच
Arjit Pandeyमौत तू ही मेरी
आखिरी मंज़िल है
मै जानता हूँ
उम्र की सीढ़ियों
पर चढ़ते-चढ़ते
मैं तेरी तरफ बढ़ रहा
निरंतर लगातार
जिस ज़िन्दगी से
मुझे लगाव है
मुझे प्रेम है
वो ज़िन्दगी
मेरे साथ होने
का छलावा करती
मेरा साथ छोड़ रही
धीरे-धीरे
और मैं
इस छलावे को स्वीकार कर
ज़िन्दगी से मोहब्बत किए
बैठा हूँ
मेरी इस मोहब्बत का परिणाम
बेवफाई है
जानता हूँ
मौत तू ही मेरी
आखिरी मंज़िल है
मैं जानता हूँ