श्रृंगार तुमसे है ! Deeksha Dwivedi
श्रृंगार तुमसे है !
Deeksha Dwivediगर लाख नगीने हों जग में,
बिन्दिया की चमक तुमसे है..
गर लाख पुष्प हों उपवन में,
गजरे की महक तुमसे है..
मेरा रूप तुम्ही, श्रृंगार तुम्ही
हो नींव तुम्ही, आधार तुम्ही
गर लाख हों मोती माला में,
पर उसकी कद्र तुमसे है!
मैं प्यासी गर तो नीर हो तुम
मैं हथेली, सुख की लकीर हो तुम,
तुम राग अगर, तो मैं रागिनी
तुम सागर मैं मन्दाकिनी,
गर लाख कोयलिया चहके पर,
गीतों में सुर तुमसे है!
हर गीत मधुर तुमसे है!
मैं पंछी गर तो पंख हो तुम
मैं इंद्रधनुष तो रंग हो तुम,
मैं पथिक अगर तो राह तुम्ही
मैं प्रेम की मुजरिम, गवाह तुम्ही,
गर लाख भीड़ हो आँगन में
पर अपना शहर तुमसे है!
मेरा उजला घर तुमसे है!