चिड़िया हूँ मैं  dik jajo

चिड़िया हूँ मैं

dik jajo

तू क्यों चाहती मुझे नहीं है माँ?
बापू को क्यों प्यार करने से रोकती है माँ तू?
भाई को चूमने से मना कयों करती है तू माँ?
 

तू भी तो बेटी किसी की, पत्नी इनकी और माँ हमारी,
क्यों घबराती है चिड़िया की माँ कहलाने से?
 

तुझे नहीं सताऊँगी माँ
घर मे आाँच न आने दू़ंगी माँ मैं,
भईया के खिलौने नहीं छुङाउगी मैं माँ,
बापूजी को मेले से गुड्डा-गुड्डी नही लाने बोलूंगी माँ मै!
 

विद्यालय के खर्चे का बोझ मैं स्वयं ही उठाऊँगी माँ
सखी-सहेली के साथ गुड्डा-गुड्डी का ब्याह नहीं रचाऊँगी मैं माँ!
 

क्यों ,माँ क्यों?
क्यों हिचकिचाती है तू अपना कहने से मुझे, हे माँ
तूझे और बापू को दहेज का भय है माँ?
माँ अपने पैसे से ही कर लूँगी ब्याह अपना,
न खेलूँगी तेरी साड़ी, बिंदिया और बापूजी की मूँछो से!

माँ कौन बाँधेगा राखी भैया को?
तू किसका देगी कन्यादान माँ?
 

तू भी तो बेटी है माँ, चिड़िया को लगा ले गले से अपने माँ।
तेरी चिड़िया नहीं वादा तोडेगी अपना माँ
बापूजी समझाओ न माँ को!!
तेरी चिड़िया 

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