शहीदों को नमन Vivek Tariyal
शहीदों को नमन
Vivek Tariyalस्वराज की खातिर जिसने, दांव लगाया जीवन का,
अंग्रेजी सत्ता सम्मुख, नेतृत्व किया हम सब जन का।
स्वयं काल भी मुड़ जाता, देख जिन हिम्मतवालों को,
नमन आज मैं करता हूँ, उन आज़ादी के मतवालों को।
आज़ादी की खातिर जिसने, पश्चिम को ललकारा था,
भोग-मोह को तजकर, माँ हेतु मरना स्वीकार था।
जिसने छोड़ा अपना यौवन और उन्मुक्त बहारों को,
नमन आज मैं करता हूँ, उन आज़ादी के मतवालों को।
बस एक लगन थी जिनके भीतर, माँ को मुक्ति दिलाने की
अंग्रेजी शासन सम्मुख, तिरंगा झंडा फहराने की।
लाठी खाकर भी जो गाते, भारत माता के जयकारों को,
नमन आज मैं करता हूँ, उन आज़ादी के मतवालों को।
जिसने ठानी थी अंग्रेजों को वापस मार भगाने की,
छिनी हुई आज़ादी, माँ को वापस दिलवाने की।
मुड़कर नहीं देखा जिसने, फिर अपने घरवालों को,
नमन आज मैं करता हूँ, उन आज़ादी के मतवालों को।
क़र्ज़ तुम्हारा सदा रहेगा हर पीढ़ी की संतान पर,
स्वतंत्र हवा में श्वास ले रहे सारे हिंदुस्तान पर।
याद रखेगा बच्चा-बच्चा देश पे मरनेवालों को,
नमन आज मैं करता हूँ, उन आज़ादी के मतवालों को।
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प्रस्तुत कविता माँ भारती के वीर सपूतों और बेटियों को कोटि-कोटि नमन करती है जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर हमें स्वतंत्रता दिलाई। यह समाज और देश कभी उनके ऋण से उऋण नहीं हो सकता। हमें चाहिए कि हम ऐसे वीरों और वीरांगनाओं द्वारा स्थापित उच्च आदर्शों को आगे लेकर जाएँ एवं जिस स्वराज का स्वप्न देखते हुए उन्होंने बलिदान दिया उसे सच कर दिखाएँ।