क्यों न करूँ नफरत ! Kriti Sharma
क्यों न करूँ नफरत !
Kriti Sharmaमोहब्बत कर के भी कुछ नही मिलता,
न मिलता कुछ है नफरत से,
तड़प चाहत में भी है,
तड़प नफरत में भी है,
तो क्यों चाहूँ मैं और क्यों प्यार करूँ?
के जब नफरत और मोहब्बत में फ़र्क़ नहीं
जो फ़र्क़ है तो बस ये के
मोहब्बत मुझे जलाती है ,
नफरत उसे भी राख कर देगी |
मोहब्बत कर के मैं बर्बाद हूँ
और नफरत उसे भी कहीं का नहीं छोड़ेगी !!
क्यों न करूँ नफरत !