हौसलों की उड़ान Rahul Kumar Mishra
हौसलों की उड़ान
Rahul Kumar Mishraतुझे हर सपने से जुड़ना है,
तुझे हर रास्ते पर मुड़ना है।
तू है एक आज़ाद परिंदा,
तुझे दूर गगन में उड़ना है।।
मुश्किल आएँगी पथ पर तेरे,
हर कदम परीक्षा लेंगे तेरी।
तुझे हर हालात में ढलना है,
तुझे लथ पथ, लथ पथ चलना है।।
जब हर अपने बेगाने होंगे,
जब हर पग के पैमाने होंगे।
तुझे गिर के खुद ही संभलना है,
तुझे अपनी पहचान बदलना है।।
मैं दूँगा तुझे वो आसमान,
तेरे ख्वाबों की ऊँची उड़ान।
तुझे दूर गगन में निकलना है,
अपना इतिहास बदलना है।।
पथ होगा तेरा दीप्तिमान,
पग चूमें तेरे किर्तिमान।
तुझे अविरल नीर सा बहना है,
तू सतत प्रवाहित झरना है।।
गंतव्य हो तेरा सदा सुशोभित,
पद चिन्ह धरा को करें अलंकृत।
उठ, चल, ना तुझे अब रुकना है,
तुझे समय का चक्र बदलना है।।
औरों से मार्ग है भिन्न तेरा,
अब समय भी खोजे चिह्न तेरा।
तुझे भाग्य रचित ख़ुद करना है,
ये विजय ही तेरा गहना है।।
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अक्सर हम सपने तो बहुत देखा करते हैं, पर क्या कभी हम अपने उन सपनों को जीने की कोशिश करते हैं जो रातों में यूँ ही बेवजह हमें सोने नहीं देते। तो आइए करते हैं एक कोशिश उन सोयी आँखो को जगाने की ताकि उस नए सवेरेमें वो आँखे लड़ सकें अपने सपनों के लिए, उन सपनों के लिए जिन्हें तेरे हौसलों की एक उड़ान की चाहत है ताकि वो निकल सकें तेरी आँखो के अँधेरे क्षितिज़ से दूर, बहुत दूर।।