हौले-हौले TANUJ SHARMA
हौले-हौले
TANUJ SHARMAजख्म छुपाकर अपने भी, अब उनके जख्म सुखाओ तुम,
हौले-हौले बंद निगाहें, ऐसे ना शरमाओ तुम,
रात बाबरी, दिन मे पहरा, अब तो मौसम भी गीला है,
हौले-हौले हाथ पकड़ कर, गले से ना लग जाओ तुम ||१||
जिद को अपनी, जिद ही मान कर, उससे ना लड़ जाओ तुम,
हौले-हौले धड़कन को, ऐसे ना सहलाओ तुम,
रुक जाएगा तेरे खातिर, जिसके जीवन की गाथा है,
हौले-हौले ख्वाब समझ कर, ऐसे ना उठ जाओ तुम||२||