ग़जल Devendra Raj Suthar
ग़जल
Devendra Raj Sutharसिर्फ सांसे चलती जीता कौन है यहाँ !
अब औरों के लिए मरता कौन है यहाँ !!
खुद के लिए भी सोचने का वक्त नही !
अब देश के लिए सोचता कौन है यहाँ !!
हर कोई बैठा है शरीर के लिए भूखा !
अब कोई आत्मा को छूता कौन है यहाँ !!
सबको खुद के स्वार्थ प्यारे हैं !
भगवान का हाल पूछता कौन है यहाँ !!
दरकने लगे है रिश्तों के पावन बंधन !
अब कोई सीमेंट बनता कौन है यहाँ !!