मन्नत  Shikha  Kumari Upadhyay

मन्नत

Shikha  Kumari Upadhyay

तुम्हारी अनकही बातों को
हम समझ जाएँगे,
हमारी अनकही बातों को
तुम समझ जाओगे |
दिल की धरा पर हम दोनों
प्यार की बगिया खिलाएँगे |
मुकम्मल करेगा वो खुदा भी
हमारी प्यारी सी वो मन्नत
जब वख्त के पहिए हमें करीब लाएँगे |

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