माँ की ममता  Deepak

माँ की ममता

Deepak

जब जीवन की परिस्थितियाँ विषम हो जाती हैं
सच कहता हूँ मेरी माँ, तब बस तेरी याद आती है।
 

जब परेशानियाँ मुझपर हावी हो जाती हैं
भूल जाता हूँ उन्हें मैं, जब हाथ सर पर तू घुमाती है।
 

जब कुछ ऐसे दिन होते हैं खाने को कुछ नहीं होता घर में
तब तू खुद पानी पीकर, भरपेट हमे खिलाती है।
 

माँ तेरी भी कुछ ज़िन्दगी थी, तेरे भी कुछ स्वप्न थे
तू अपने स्वप्न तोड़कर, मेरे स्वप्न सजाती है।
 

माँ तू सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि तू तो पूरा ग्रंथ है
तुझको पढ़ लेता हूँ, जब तू गोद में मुझे सुलाती है।

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