घोंसला Arjit Pandey
घोंसला
Arjit Pandeyएक चिड़िया से कल सोचकर मैं मिला
घोंसला मेरे दिल में बनायेगी वो
मन के पर फैलाकर उड़ते हुए
अपनी दुनिया मुझमे बसायेगी वो
जब मै डूबूँगा उलझन के सागर में
लहर बनकर किनारे पे लाएगी वो
मेरे सपनो के जलते दीपक को
प्रेम की तश्तरी में सजाएगी वो
तोड़कर मेरे ख्वाब शीशे की तरह
चल दी वो किसी अजनबी की तरह
बिखरे हुए ख्वाब बीनता जानकर
याद बनकर मुझे अब सताएगी वो