राम अभी तक वन में हैं शशांक दुबे
राम अभी तक वन में हैं
शशांक दुबेरावण सबके मन में है।
राम अभी तक वन में हैं।।
प्रेम नश्वर सा है अब
घृणा सदा मन में है।।
राम अभी तक वन में हैं।।
हृदय कर रखा है काला
मिथ्या आभा तन में है।
राम अभी तक वन में हैं।।
झूठी शानो-शौकत है सब
तम पसरा जीवन में है।।
राम अभी तक वन में हैं।।
मुख में राम, बगल में छुरी
यही प्रथा प्रचलन में है।।
राम अभी तक वन में हैं।।
चेहरे से राम ही लगते हैं सब
ध्यान लगा रावण में है।।
राम अभी तक वन में हैं।।