इश्क़ लिखते हो इंकलाब लिखा जाता है ?  Utkarsh Tripathi

इश्क़ लिखते हो इंकलाब लिखा जाता है ?

Utkarsh Tripathi

इश्क़ लिखते हो, इंकलाब बन जाता है,
मेरा तो राष्ट्रपरक हर निबन्ध एक ख्वाब बन जाता है,
और आप कहते हो,
इश्क़ लिखते हो,इंकलाब बन जाता है....
 

मैंने भी देखा है,आतंकियों के शव के पीछे जनसैलाब बन जाता है
क्षण भर की सफलता से ही साहित्यकार नवाब बन जाता है
और आप कहते हो,
इश्क़ लिखता हूँ...........
 

मैंने परखा है;
राष्ट्र विरोध करने वाला छात्र एक खिताब बन जाता है,
हर एक छोटा सा मुद्दा देश में किताब बन जाता है,
और आप कहते हो,
इश्क़ लिखता हूँ.........
 

राजनीति में नमस्कार भी अब तो आदाब बन जाता है,
देश में छोटा सा शोला भी,जलता हुआ आफ़ताब बन जाता है
देखता हूँ धर्म-जाति के नाम पर ही उन्माद बन जाता है,
और क्या कहते हो आप,
इश्क़ लिखता हूँ,इंकलाब बन जाता है।।।

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