कलाम: एक प्रेरणा  Utkarsh Tripathi

कलाम: एक प्रेरणा

Utkarsh Tripathi

है ये शाश्वत क्रम प्रकृति का, कभी भोर है, कभी शाम है,
कमाल के कलाम को कलम का सलाम है।
धर्म जाति से बढ़कर देश का सपूत था वो,
विज्ञान का विद्वान होकर शांति का दूत था वो,
कोई कहता फरिश्ता था, कोई कहता पैगम्बर था,
मेरा मन तो यही कहता, उम्मीदों का वो अम्बर था।
भेद नहीं उसके बन्दों में हर में रहीम और राम है,
कमाल के कलाम को कलम का सलाम है।
 

सियासत के समंदर को कूदकर पार किया था जिसने,
अन्वेषण और अविष्कार का पथ स्वीकार किया था जिसने,
विज्ञान ही रचा बसा था जिसके मन में,
विज्ञान का जो मतवाला था,
चलता फिरता मंदिर था जो,
कर्तव्य की पाठशाला था।
क्या लिखूं तेरे बारे में कलम ही हैरान है,
कमाल के कलाम को कलम का सलाम है।


देश को दहशत के बादलों से बचाया था,
देश में अस्त्रों की बाढ़ जो लाया था,
ख्वाब व हकीकत का मेल जिसने कराया था,
बुलंदियों पर रहकर भी इंसानियत ही गाया था।
मेरी यह काव्यकृति उस युगस्रष्टा के ही नाम है,
कमाल के कलाम को कलम का सलाम है।
 

मजबूत किया जिसने देश को रणविज्ञान में,
हौसलों को पर दिए जिसने अंतरिक्ष की उड़ान में,
देश में नवज्ञान की आहट जिसने लाई थी,
पोखरण में हिन्द की गुर्राहट जिसने लौटाई थी,
राष्ट्र को रणश्रेष्ठ करना, जिसका ही काम है,
कमाल के कलाम को कलम का सलाम है।

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