जय जवान-जय किसान शशांक दुबे
जय जवान-जय किसान
शशांक दुबेजय जवान-जय किसान, नारा फिर से लगाना होगा।
कृषकों और जवानों का, मनोबल फिर बढ़ाना होगा।।
धूप में तपता हुआ, कर्मठ भूमिपुत्र।
मैली कुचैली धोती, हाल है विचित्र।।
सूखे की मार, फिर भी न माने हार।
कृषि प्रधान देश में, सहता तिरस्कार।।
उसका खोया हुआ आत्मविश्वास, फिर से लौटाना होगा।
कृषकों और जवानों का, मनोबल फिर बढ़ाना होगा।।
दुश्मन जिनके नाम से, ख़ौफ़ खाते हैं।
वे अपनों के द्वारा ही, सताए जाते हैं।।
बाढ़ में जवानों ने, जिन्हें बचाया है।
घाटी में उनसे ही, अपमान पाया है।।
उसका खोया हुआ आत्मसम्मान, फिर से लौटाना होगा।
कृषकों और जवानों का, मनोबल फिर बढ़ाना होगा।।
जवान और किसान ही, हाँ देश की धुरी हैं।
इनके बिना विकास की हर अवधारणा अधूरी है।।
इनके विकास की योजना को बनाना ही होगा।
कृषकों और जवानों का, मनोबल फिर बढ़ाना होगा।।
जय जवान-जय किसान, नारा फिर से लगाना होगा।।
जय हिन्द,जय भारत