जन्म-दाता  VINAY KUMAR PRAJAPATI

जन्म-दाता

VINAY KUMAR PRAJAPATI

ईश्वर का वह रूप है,
परोपकार का स्वरूप है।
दिया जिसने नाम हमे,
बनाया जिसने इन्सान हमें।
जल रूपी संस्कार देकर,
पौधे रूपी जीवन को सींचकर।
बनाया हमे काबिल उसने,
किए सपने सुनहरे उसने।
हैं वे दो लोग,
जन्मदाता कहते हैं जिनको लोग।
धोखा ना देना उनको कभी,
ऊँगली पकड़कर चलना सिखाया जिसने कभी।
किया ना कुछ अपने लिए।
जो किया बस तुम्हारे लिए,
हृदय से उनके निकलती है दुआ,
खुश रहे मेरी संतान सदा।
आँसू गम के ना देना उनको कभी,
खुशी के आँसू दिए जिसने तुमको कभी।
ईश्वर की उपासना है बड़ी,
तो मात-पिता की उपासना है सबसे बड़ी।
उठ सबेरे कहो ये प्रातः,
हे दाता सदा खुश रहें मेरे जन्म-दाता।

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