चलते हैं !! Faizal Ansari
चलते हैं !!
Faizal Ansariचलते हैं
ऐ उम्र चल, अब बचपन में चलते हैं।
पकड़ लेते हैं दामन इस वक़्त का
और ज़िद करके इसे उधर ले चलते हैं।
अब काफी दिनों से खफा है वो मेरे प्यारे बच्चे
जो कभी हमारे बिना घर से भी न निकलते थे।
अब बहुत रो लिए हम इस काम की भाग दौड़ में ।
चल अब अपनी शब् ए सुखन में चलते हैं।
ऐ उम्र चल अब बचपन में चलते है ।
दर्द भी बहुत देता है ये काम काज
और उससे भी ज़्यादा दर्द दे रही है ये ज़िन्दगी।
जो कल चलते थे हमारी ऊँगली पकड़कर
आज वही ऊँगली बता के चलते हैं।
इस चार दीवारी के बहार जो दुनिया है
चल वहीं जाकर ये समां बदलते हैं।
ऐ उम्र चल अब बचपन में चलते हैं।