कलम  dik jajo

कलम

dik jajo

लब्ज़ों की जुबान हूँ मैं,
नेत्रों की परख हूँ मैं,
दुःख का एहसास हूँ मैं,
नमी की साथी हूँ मैं,
कलम। कलम। कलम।
 

बोलते को बुलवाती हूँ मैं,
रोते की तसल्ली हूँ मैं,
हँसते की प्रेमी हूँ मैं,
नाचते की दर्शक हूँ मैं,
कलम। कलम। कलम।
 

डूबते का सहारा हूँ मैं,
चढ़ते का साहस हूँ मैं,
हारते का मनोबल हूँ मैं,
जीत की शहनाई हूँ मैं,
कलम। कलम। कलम।

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