क़त्ल TANUJ SHARMA
क़त्ल
TANUJ SHARMAसुना है
मंज़र बदलता जा रहा है,
तेरी और मेरी
दोनों की ज़िंदगी से
मिलती हुई एक कहानी का।
वो भी इसलिए,
कि किसी ने तेरी
किताब मे लिखी,
मेरी लिपि को मिटाकर,
उसे अपने तरीके से लिखने की,
बहुत खूब,
जो कोशिश की है।
वो भी इस लिए,
कि वो जानता है,
तेरी मासूमियत को
और तुझे,
बहुत जल्दी यकीन होता है
दूसरों की बनाई
नाज़ुक बातों पर,
हालातों को यूँ ही बिना सोचे परखे,
ज़हन मे उतार लेते हो तुम।
यही ज़रूरत है उसकी,
तुम्हे मेरे से परिवर्तित करने को,
के कान के थोड़े कच्चे हो तुम।
थोड़ा समय लगेगा,
मगर, जल्द ही आएगा,
तुम्हे मोहोब्बत का अंदाज़ समझ मे,
थोड़ी नोक-झोंक,
थोड़ी तक़रार,
होना लाज़मी है,
मगर,
दो दिलो के बीच की दीवार पर,
बड़े अक्षरों में
गलतफहमी
का लिखा होना,
दिल के मज़बूत इरादों के
कत्ल करने का ज़रिया होता है।
इसे मिटा दो,
ये गहरा काला रंग,
ज्यादा पुराना नहीं है,
दिल के बाहरी छोर पर
अपनी छाप छोड़ने से पहले,
अपनी मोहोब्बत के यकीन से
इसे मिटा दो,
इसे मिटा दो क्योंकि,
अगर इसने अपने रंग को
तुम्हारे दिल मे घोल दिया,
तो दुनिया का कोई भी इलाज़,
मेरे और तुम्हारे
रिश्ते को फिर से
उसी मोड़ पर लाकर नहीं रख पाएगा
जहाँ से छोड़ कर
तुम दूसरी ओर चली गई थी।
फिर से दोनों की नज़रों को मिलने पर
वो मुस्कुराहट की जगह,
घिनोनियत से भरी,
ज़लील कर देने वाली नज़र होगी,
और नज़रों को चुराकर,
फिर से एक दूसरे की ओर
चले आने की इच्छा,
दिल के साथ
कत्ल हो चुकी होगी।