सपनों का सौदागर शशांक दुबे
सपनों का सौदागर
शशांक दुबेमैं हूँ सपनों का सौदागर
स्वप्न बेचता हूँ
बेचता हूँ,आशाएँ
उम्मीदें,अभिलाषाएँ
छुपाकर सभी दाग
दिखाकर सब्ज़बाग
एक भ्रमजाल बुनता हूँ।
मैं हूँ सपनों का सौदागर
स्वप्न बेचता हूँ।
दिखाकर भंगिमाएँ
कर कपोल कल्पनाएँ
मिथ्या बुनियादों पर
हवाई किला बनाकर
यादें सहेजता हूँ।
मैं हूँ सपनों का सौदागर
स्वप्न बेचता हूँ।